
वास्तु शास्त्र में दिशाओ का विशेष महत्व है । इसका ज्ञान होना हर भवन निर्माताओ के लिए ज़रूरी है ।
पूर्व दिशा - इस दिशा का स्वामी इन्द्र व सूर्य है । पितॄस्थान का सूचक ये दिशा अग्नितत्व को प्रभावित करती है। इस दिशा को अवरुध करने पर घर का भाग्य भी रुक जाता है । घर में सूरज की रौशनी आने दे ।
पश्चिम दिशा -इस दिशा का स्वामी वरुण व शनि है। वायु तत्त्व । जिनके घर में मुख्य द्वार इस दिशा में होता है उनके घर का मालिक एक के बाद एक काम बदलता रहता है। धन का ठहराव नही रहता। अधिक मेहनत ।
उत्तर दिशा - इस दिशा का स्वामी कुबेर व चंद्रमा है। कुबेर धन का सूचक है । जिस घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में हो तो उस घर में धन का अभाव नही रहता। घर के उत्तर दिशा में खिड़की होना भी शुभ है।
pranab Rajat
पूर्व दिशा - इस दिशा का स्वामी इन्द्र व सूर्य है । पितॄस्थान का सूचक ये दिशा अग्नितत्व को प्रभावित करती है। इस दिशा को अवरुध करने पर घर का भाग्य भी रुक जाता है । घर में सूरज की रौशनी आने दे ।
पश्चिम दिशा -इस दिशा का स्वामी वरुण व शनि है। वायु तत्त्व । जिनके घर में मुख्य द्वार इस दिशा में होता है उनके घर का मालिक एक के बाद एक काम बदलता रहता है। धन का ठहराव नही रहता। अधिक मेहनत ।
उत्तर दिशा - इस दिशा का स्वामी कुबेर व चंद्रमा है। कुबेर धन का सूचक है । जिस घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में हो तो उस घर में धन का अभाव नही रहता। घर के उत्तर दिशा में खिड़की होना भी शुभ है।
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